फतेहाबाद: दुष्कर्म मामले में पंचायती राजीनामे पर कोर्ट ने कहा- गंभीर मामले में पंचायत समझौता नहीं करवा सकती

कोर्ट ने इस पर कहा, हैरानी की बात है कि, DSP ने दोषी से पूछताछ भी नहीं की, सिर्फ हलफिया बयान के आधार पर ही दोषी को क्लीनचिट दे दी।

फतेहाबाद: दुष्कर्म मामले में पंचायती राजीनामे पर कोर्ट ने कहा- गंभीर मामले में पंचायत समझौता नहीं करवा सकती
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कोर्ट ने दोषी को सुनाई दस साल की सजा

हरियाणा के फतेहाबाद में अतिरिक्त जिला एवं स्तर न्यायाधीश बलवंत सिंह ने फैसला सुनाया है कि, दुष्कर्म मामलों में ग्राम पंचायत समझौता नहीं करवा सकती। अदालत ने पंचायत के रवैये और पुलिस की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। अदालत ने 3 जून 2019 में चार साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले की सुनवाई करते हुए दोषी को दस साल की कैद की सजा सुनते हुए ये टिप्पणी की है।

बतादें कि, बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले में ग्राम पंचायत ने राजीनामा करवा दिया था। DSP दलजीत सिंह ने हलफिया बयानों के आधार पर दोषी को क्लीनचिट देकर कोर्ट में कैंसलेशन रिपोर्ट भी जमा करवा दी थी। कोर्ट ने इस पर कहा, हैरानी की बात है कि, DSP ने दोषी से पूछताछ भी नहीं की, सिर्फ हलफिया बयान के आधार पर ही दोषी को क्लीनचिट दे दी।

हलफिया बयान के लिए स्टांप पीड़िता या शिकायतकर्ता ने नहीं खरीदे, स्टांप पेपर किसी सत्यवान नामक व्यक्ति ने खरीदे। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में लिखा दिया कि, पीड़िता को गलतफहमी हो गई थी।

कोर्ट ने कहा, ऐसा कहने भर से गलतफहमी नहीं होती, क्योंकि मुकदमा दर्ज होते ही चार वर्ष की पीड़िता और शिकायतकर्ता ने कोर्ट व काउंसलर को जो बयान दिए वह सबूत के लिए काफी हैं। इस मामले में पंचायती तौर पर राजीनामा मान्य नहीं है।

कोर्ट ने फैसले में लिखा कि, दुख की बात है कि दोषी ने कभी भी जांच में सहयोग नहीं किया और डीएसपी ने ब्लांइड कैंसिलेशन रिपोर्ट सबमिट कर दी। कोर्ट ने यौन शोषण पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि, हर नौ मिनट में एक बच्चे के साथ घटना घट रही है।

कोर्ट ने कहा कि 91 फीसदी मामले में तो परिवार में या जान पहचान के लोगों द्वारा ही किए जाते हैं। इन मामलों का असर बच्चे पर लंबी उम्र तक रहता है, जिसमें उनका व्यवहार, मानसिक व शारीरिक स्थिति प्रभावित होती है। फतेहाबाद में चार वर्ष की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में कोर्ट ने दोषी को 10 वर्ष की कैद सुनाते हुए कहा कि निसंदेह इस मामले में पुलिस अपना दायित्व निभाने में विफल रही है, लेकिन कोर्ट पीड़िता के अधिकार की अनदेखी नहीं कर सकती।

ApnaPatrakar

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