जींद: डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल में बच्चों को लगाए डीपीटी व टीडी के टीके

डीपीटी, टिटनेस और डिप्थीरिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिये यह टीकाकरण 5 से 6 वर्ष, 10 वर्ष और 16 वर्ष के बच्चों को लगाया जाता है।

जींद: डीएवी पुलिस पब्लिक स्कूल में बच्चों को लगाए डीपीटी व टीडी के टीके
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लगभग 300 विद्यार्थियों को लगाए गए टीके

हरियाणा सरकार स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्कूल टीकाकरण के तहत पुलिस लाइन स्थित डी.ए.वी पुलिस पब्लिक स्कूल, जींद में 9 दिसंबर 2022 (शुक्रवार) को पहली, पांचवीं व दसवीं कक्षा के लगभग 300 विद्यार्थियों को डॉ. राममेहर वर्मा मुख्य चिकित्सा अधिकारी की देखरेख में डी.पी.टी. व टी.डी के टीके लगाए गए। इसके तहत 5 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को डीपीटी,10 वर्ष व 16 वर्ष की उम्र के बच्चों को टिटनेस- डिप्थीरिया के टीके लगाए गए।

इससे पहले विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ. राममेहर वर्मा मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया की, डी.पी.टी. संयोजित टीकों की एक श्रेणी को संदर्भित करता है, जो मनुष्यों को होने वाले तीन संक्रामक रोगों (डिप्थीरिया, पर्टुसिस (काली खांसी) और टिटनेस) से बचाव के लिये दिये जाते हैं। 'D' का मतलब डिप्थीरिया, 'T' का मतलब टिटनेस और 'P' का मतलब पर्टुसिस है।

डीपीटी, टिटनेस और डिप्थीरिया जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिये यह टीकाकरण 5 से 6 वर्ष, 10 वर्ष और 16 वर्ष के बच्चों को लगाया जाता है।

टीडी टीका टिटनेस और डिप्थीरिया से बचाव के लिए दिया जाता है। यह केवल 7 वर्ष और उससे अधिक उम्र के बच्चों, किशोरों और वयस्कों के लिए दिया जाता है। टीडी आमतौर पर हर 10 साल में बूस्टर खुराक के रूप में दिया जाता है या गंभीर या गंदे घाव या जलने की स्थिति में 5 साल बाद दिया जाता है।

ज्ञातव्य है कि डिप्थीरिया एक गंभीर बैक्टीरियल संक्रमण होता है, जो नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली को प्रभावित करता है। यह एक छाले के रूप में दिखाई देता है और गले में सूजन आना, गले में दर्द होना, कुछ खाने-पीने में दर्द होना, इसके लक्षण हैं। इस संक्रमण से बचने के लिये टीका बहुत ज़रूरी है।

टिटनेस आमतौर पर पूरे शरीर में मांसपेशियों के दर्दनाक कसने का कारण बनता है। टिटनेस के कारण जबड़ा बंद हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पीड़ित अपना मुँह नहीं खोल सकता और न ही निगल सकता है।

पर्टुसिस (काली खांसी) गंभीर खांसी का कारण बनता है। इससे शिशुओं के लिए खाना, पीना या सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। पर्टुसिस से निमोनिया, आक्षेप, मस्तिष्क क्षति और मृत्यु हो सकती है। स्वास्थ्य कर्मियों अमरजीत, सूरजमुखी, मुकेश रानी व राधा द्वारा सफल टीकाकरण किया गया।

ApnaPatrakar

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