Kaithal News: नगर परिषद उपाध्यक्ष चुनाव के चलते भाजपा-कांग्रेस पार्षदों में खींचतान तेज
सूत्रों के अनुसार भाजपा की ओर से जिन 22 पार्षदों के समर्थन का दावा किया जा रहा था, उनमें पांच लापता हो गए हैं, यानी उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है।

भाजपा को बहुमत होने के बावजूद सता रहा डर
नगर परिषद उपाध्यक्ष के चुनाव की तिथि नजदीक आते ही भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों में खींचतान तेज हो गई है। अपने-अपने पाले में अधिक से अधिक पार्षदों का समर्थन जुटाने के लिए जोरआजमाइश चल रही है। खास बात यह है कि नगर परिषद में भाजपा का बहुमत होने के बाद भी उसे टूट का डर सता रहा है। शायद यही कारण है कि शनिवार को भाजपा के पार्षदों को बस में सवार कर हिमाचल की वादियों में सैर के लिए भेज दिया गया है।
माना जा रहा है कि अब सोमवार को नप उपाध्यक्ष चुनाव के समय ही पार्षद वापस लौटेंगे। कैथल नगर परिषद में 31 पार्षद एवं एक अध्यक्ष समेत कुल 32 वोट हैं। ऐसे में जिसके पास 17 पार्षदों का समर्थन होगा, वहीं नप का उपप्रधान चुना जाएगा। भाजपा ने तीन दिन पूर्व बैठक की थी, जिसमें 22 पार्षदों के समर्थन का दावा किया गया था, लेकिन चुनाव से पहले कई पार्षदों के पाला बदलने की आशंका को देखते हुए भाजपा सतर्क हो गई है।
सूत्रों के अनुसार भाजपा की ओर से जिन 22 पार्षदों के समर्थन का दावा किया जा रहा था, उनमें पांच लापता हो गए हैं, यानी उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसके बाद ही भाजपा समर्थित अन्य पार्षदों को बस में सवार कर हिमाचल के लिए रवाना कर दिया गया है। दूसरी ओर कांग्रेसी खेमा भाजपा के संभावित नाराज पार्षदों का समर्थन जुटाने में लगा है, लेकिन फिलहाल यह आसान नहीं लग रहा है। कारण कि कांग्रेस के पास सिर्फ 10 पार्षद हैं। ऐसे में उसे उपप्रधान के लिए कम से कम सात और पार्षदों का समर्थन हासिल करना होगा।
यदि दो से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में आते हैं तो जिसके पास सबसे ज्यादा पार्षदों का समर्थन हासिल होगा, वह उपाध्यक्ष निर्वाचित होगा। ऐसी स्थिति में अगर भाजपा की ओर से दो पार्षदों ने उपप्रधान के लिए दावेदारी की तो कांग्रेस की लाटरी लग सकती है।
चुनाव से पहले दोनों ही दल अपने उपप्रधान जिताने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। अब देखना होगा कि सोमवार को कौन सी पार्टी उपाध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने में सफल होती है।
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