मेहराणा गांव में फटा बादल किसानों की फसलों को हुआ भारी नुकसान

जहां पर जंगल बहुत कम होते हैं या पेड़ों की संख्या बहुत कम होती है वहां पर बादल फटने की संभावना ज्यादा रहती है।

मेहराणा गांव में फटा बादल किसानों की फसलों को हुआ भारी नुकसान
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जाने क्यों फटते हैं बादल

राजस्थान के महाराणा गांव में कल बादल फटने से किसानों की गेहूं और अन्य फसलों में भारी नुकसान हुआ है। मेहराणा गांव के कई किसान अपनी फसलों में हुए इस नुकसान से सदमे में हैं। किसान अपनी फसल के लिए लगभग 6 महीने से ज्यादा लगातार मेहनत करते हैं तब जाकर उनकी फसल पकती है। लेकिन मौके पर पकी फसल कभी-कभी बारिश और ओलावृष्टि की चपेट में आने से पूर्ण रूप से नष्ट हो जाती है।



आइए जाने क्यों और कैसे फटते हैं बादल

आप और हमने यह बात कई बार सुनी होगी कि बादल फटने से हुई भारी बारिश। लेकिन हमें यह नहीं पता कि यह बदल फटते क्यों हैं। आइए जानते हैं कि बादल फटने का मुख्य कारण क्या होता है।
बादल फटने की वैज्ञानिक परिभाषा के अनुसार जब वातावरण में अधिक नमी होती है और हवा का रुख ऐसा होता है कि जब बंगाल की खाड़ी अरब सागर से मानसूनी बादल हिमालय की ऊंचाइयों तक पहुंचती हैं। तब बादल तेज तूफान से बने दबाव के कारण एक जगह पर ही पानी को गिरा देते हैं। कभी-कभी बादल इन हवाओं के दबाव के कारण ऊपर की ओर उठने लगते हैं और पहाड़ों से टकराते हैं तब पानी एक साथ बहुत तेज गति से बरसने लगता है। पर्यावरण विशेषज्ञों की बात करें तो उनका मानना है कि बादल फटने की घटना उस क्षेत्र में ज्यादा होती है जहां प्रकृति के साथ तालमेल कम होता है।

जहां पेड़ों की संख्या कम होती है वहां ज्यादा फटते हैं बादल

जहां पर जंगल बहुत कम होते हैं या पेड़ों की संख्या बहुत कम होती है वहां पर बादल फटने की संभावना ज्यादा रहती है। पेड़ों के कटने की वजह से जब शरद और गर्म हवाएं विपरीत दिशा में चलकर टकराती हैं तब बादल फटते हैं और वर्षा तीव्रता से इतनी अधिक होती है कि वह बाढ का रूप भी ले लेती है। जानकारों का मानना है कि बादल फटने से बारिश इतनी तेजी से होती है कि वह जमीन को नम करने के बजाय वहां की मिट्टी को ही बाहर ले जाती है जिससे पानी को जमीन सोक ही नहीं पाती है। बादलों को फटने से रोकने का कोई ठोस उपाय नहीं है। लेकिन अगर पानी के निकलने की जगह सही हो घरों की बनावट एकदम ठीक हो और इसके साथ ही प्रकृति के साथ सबका संतुलन बढ़िया हो तो इस घटना को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन कम जरूर किया जा सकता है। जिससे जान-माल का कम से कम नुकसान होगा मौसम विभाग के अनुसार भारत में मानसून के समय बादल उत्तर दिशा की ओर बढ़ते हैं और हिमालय इन के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा होता है। यह बादल जरा सी भी गर्मी सहन नहीं कर पाते हैं और जैसे ही गर्म हवाओं के संपर्क में यह आते हैं तो यह फट जाते हैं और भयंकर बारिश होने लगती है बादलों के फटने के बारे में जानने से पहले हमें बादलों के बारे में जानना होगा कि वह कौन से बादल है जो फटते हैं।

वैज्ञानिकों ने बादलों को बांटा है मुख्य रूप से तीन भागों में


दरअसल बादलों को वैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा है। पहले पार्ट में क्युमुलोनिम्बस,निम्बोसटेर्ट, स्ट्रेटोक्युमुलस बादल होते हैं। जब इन बादलों में नमी पहुंचना बंद हो जाती है तो यह फट जाते हैं और तेजी से बरसने लगते हैं। जमीन बादलों से बारिश होती है तो ऐसा लगता है कि मानो आसमान से पूरी नदी ही जमीन पर उतर आई हो। कई बार हम सुनते हैं कि बादल फटने के बाद वहां पर बसे हुए लोगों के घर-बार सब उजड़ जाते हैं। पशु फसल सब पानी में बह जाते हैं और कई बार तो लोगों की मौत भी हो जाती है। बादलों को फटने से रोकने के लिए हमें प्रकृति के साथ तालमेल रखना बहुत जरूरी है।

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