Sirsa: सरपंच पद के उम्मीदवार सुरेश पूनिया के साथ समस्त ग्राम वासियों ने शहीद निहाल सिंह गोदारा को पुष्पमाला पहना कर दी श्रद्धांजलि

शहीद निहाल सिंह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके लिए अपना देश और देश की मिट्टी अपने परिवार से भी पहले आती थी।

सिरसा के गांव खेड़ी से सरपंच पद के उम्मीदवार सुरेश पूनिया ने दी श्रद्धांजलि

शहीद निहाल सिंह गोदारा की शहादत का दिन सरकार, प्रशासन व नेताओं ने तो भुला दिया लेकिन शहीद निहाल सिंह के गांव के ग्रामवासी कभी नहीं भूल सकते। गुरुवार को गांव खेड़ी में शहीद निहाल सिंह गोदारा की 23वीं पुण्यतिथि पर स्मारक स्थल पर शहीद के गांव से सरपंच पद के उम्मीदवार सुरेश पुनिया के साथ समस्त ग्रामवासीयों ने शहीद की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। लेकिन सरकार व प्रशासन की तरफ से कोई अधिकारी व कर्मचारी नहीं पहुंचा। यह बात अपने आप में अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। जिसको लेकर शहीद के परिजनों के साथ-साथ समस्त खेड़ी ग्राम वासियों में भी दुख के साथ रोष भी व्याप्त है।

खेड़ी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि जिस जवान ने अपने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया उस जवान की आज इस प्रकार से अनदेखी करना शर्मनाक ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है और इससे सरकार के साथ-साथ प्रशासन के प्रति भी संपूर्ण गांव में भारी रोष है। इनका कहना है कि आम तौर पर सरकार घोषणा करके भूल जाती है, लेकिन देश की रक्षा के लिए जान न्यौछावर करने वाले जांबाज जवानों की शहादत को भूलना तो शहीदों की शहादत का घोर अपमान है। ग्रामीणों ने बताया कि उस समय सरकार ने कई घोषणाएं की थीं कि खेड़ी के राजकीय स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाएगा। खेड़ी से कागदाना जाने वाली सड़क का नाम भी शहीद के नाम पर रखा जाएगा। लेकिन एक भी घोषणा पर अमल नहीं हुआ।

sirsa kheri Village news

चार आंतकवादियों को मारकर अलविदा कह गए थे शहीद निहाल सिंह
शहीद निहाल सिंह बचपन से ही सख्त मिजाज के और अपने सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति थे। देश प्रेम की भावना उनमें कूट-कूट कर भरी हुई थी। शहीद निहाल सिंह एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके लिए अपना देश और देश की मिट्टी अपने परिवार से भी पहले आती थी। शहीद निहाल सिंह सीमा सुरक्षा बल की 21वीं बटालियन के जवान थे। निहाल सिंह गोदारा 11 नवंबर 1999 को कश्मीर में देश की सीमा की रक्षा करते हुए आतंकवादियों की गोली का शिकार हो गए थे। आतंकवादियों से देश की रक्षा करते करते 11 नवंबर को शहीद निहाल सिंह जख्मी हो गए थे लेकिन उन्हें अपने शरीर की कहां परवाह थी वो जाते जाते भी चार आतंकवादियों को धराशायी कर गए थे।

sirsa kheri Village news

13 नवंबर को खेड़ी गांव में हुआ था शहीद निहाल सिंह के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार
शहीद निहाल सिंह ने आतंकवादियों से अपने देश की रक्षा करते हुए 11 नवंबर 1999 को अपने वतन की मिट्टी को चूम कर अंतिम सांस ली थी। लेकिन उनका पार्थिव शव दो दिन बाद सिरसा जिला के गांव खेड़ी मे 13 नवंबर 1999 को पहुंचा था। खेड़ी गांव के बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि जिस दिन शहीद निहाल सिंह का पार्थिव शरीर खेड़ी गांव में पहुंचा उस दिन संपूर्ण गांव में एक भी घर में चूल्हा नहीं जला था पूरा गांव शहिद निहाल सिंह के पार्थिव शव को देखकर नम और दुखी था।13 नवंबर 1999 को राजकीय सम्मान के साथ प्रशासन के साथ-साथ समस्त ग्राम वासियों ने शहीद निहाल सिंह का अंतिम संस्कार कर अश्रुपूर्ण विदाई दी। ग्रामीणों ने बताया कि उस दिन समस्त ग्राम वासियों की आंखें नम थी लेकिन साथ ही साथ सभी ग्राम वासियों का सीना भी शहीद निहाल सिंह के नाम से गर्व से चौड़ा हो रहा था। ‌

शहीद निहाल सिंह अमर रहे के नारों से गूंज उठा शहिदी स्थल
गुरुवार को शहीद निहाल सिंह गोदारा के 23वें शहीदी दिवस पर शहीद की प्रतिमा पर खेड़ी ग्रामवासियों द्वारा जब माल्यार्पण कर शहीद को श्रद्धांजलि दी गई तो संपूर्ण शहीदी स्थल शहीद निहाल सिंह - अमर रहे के नारों से गूंज उठा। जिस प्रकार से खेड़ी ग्राम वासियों द्वारा शहीद निहाल सिंह को श्रद्धांजलि दी गई उसे देखकर लगता है कि जो प्रेम ग्रामवासियों के दिलों में शहीद निहाल सिंह के लिए आज से 23 वर्ष पहले था वही प्रेम आज भी बरकरार है।

ApnaPatrakar

Tags:
Next Story
Share it