कौन थे पुनीत राजकुमार, जिसकी मौत पर की थी एक लाख लोगो ने अपनी आँखे दान

जहां पुनीत राजकुमार का शव रखा था, वहां पर 30 लाख लोग जमा हो गए थे।

कौन थे पुनीत राजकुमार, जिसकी मौत पर की थी एक लाख लोगो ने अपनी आँखे दान
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पुनीत राजकुमार 49 बर्थडे

पुनीत राजकुमार अगर जिंदा होते तो आज 49 वा जन्मदिन मना रहे होते। उनकी मौत से जुड़े रोचक तथ्य। पुनीत राजकुमार कन्नड़ के बहुत बड़े सुपरस्टार थे और आज वह जिंदा होते तो 49 वां जन्मदिन मना रहे होते। आपको बता दें कि 29 अक्टूबर 2021 को पुनीत की मौत हार्ट अटैक से हो गई थी। मौत की खबर फैलते ही पूरी कन्नड़ इंडस्ट्री में सन्नाटा छा गया। सरकार ने बेंगलुरु शहर में धारा 144 लगा दी। शराब की बिक्री पर 2 दिन के लिए रोक लगा दी गई।

जहां पुनीत राजकुमार का शव रखा था, वहां पर 30 लाख लोग जमा हो गए थे। अंतिम दर्शन के लिए 10 किलोमीटर लंबी लाइन लग गई थी। यहां तक कि यह खबर सुनकर उनके 10 फैंस की भी मौत हो गई थी। जिसमें किसी ने सुसाइड कर लिया किसी को यह खबर सुनकर सदमे से दिल का दौरा पड़ गया। कन्नड़ सिनेमा में पुनीत राजकुमार का क्रेज ऐसा था कि वो सुपरस्टार राजकुमार के बेटे थे। पुनीत राजकुमार की 14 फिल्में लगातार 100 दिनों तक सिनेमा घरों में चली थी।

उनके लिए फैंस में दीवानगी सिर्फ उनकी एक्टिंग के कारण नहीं थी, वो रियल लाइफ में भी बहुत दरियादिली थे। समाज सेवा के लिए हमेशा तैयार रहते थे। समाज सेवा के लिए उनकी तरफ से 26 अनाथ आश्रम गरीब बच्चों के लिए 46 स्कूल चला करते थे। पुनीत ने मरने के बाद अपनी आंखें दान की थी। उनके मरने के बाद पूरे कर्नाटक में एक लाख लोगों ने अपनी आंखें दान कर दी, क्योंकि वह पुनीत राजकुमार के रास्ते पर चलना चाहते थे। इससे कर्नाटक में नेत्रदान का आंकड़ा अचानक बदल गया था। मौत के बाद पुनीत राजकुमार का दूसरा जन्मदिन है। उसको लेकर कर्नाटक में लोगों की आंखें नम हो गई है। पुनीत राजकुमार को लोग बड़ी नम आंखों से याद कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर वह जिंदा होते तो 49 वां जन्मदिन मना रहे होते।

10 साल में पहला नेशनल अवॉर्ड

जब पुनीत राजकुमार 10 साल के थे, तब उन्हें नेशनल अवॉर्ड अपने नाम कर लिया था। ये अवॉर्ड उन्हें फिल्म ‘Bettada Hoovu’ के लिए मिला था। इसमें वो बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट नजर आए थे। साथ ही फिल्म को बेस्ट कन्नड़ फिल्म का नेशनल अवॉर्ड, तीन फिल्मफेयर अवॉर्ड साउथ और दो कर्नाटक स्टेट फिल्म अवॉर्ड से भी उन्हें नवाजा गया था।

apnapatrakar

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